Menu
blogid : 12351 postid : 778747

डूबूँगी नहीं

Where have we lost the happiness?
Where have we lost the happiness?
  • 11 Posts
  • 6 Comments

थक गयी हूँ चलते चलते
सैकड़ों मील जैसे बंजर से रेगिस्तान में
फिर भी उठ रहे हैं कदम
जाने किस गुमान में
ज़िंदा जब तक हूँ
उूबूँगी नहीं…मुझे यक़ीन हैं मैं “डूबूँगी नहीं”

जिस किनारे की ख्वाहिश की थी
न मिल पाये कभी शायद
ज़िन्दगी का रुख मेरे हिसाब से
न बदल पाये शायद
तो क्या हुआ …कहीं किसी और किनारे पहुँचूंगी तो सही
विश्वास है स्वयं पर इतना की ” मैं डूबूँगी नहीं” “कभी नहीं” !

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply